"ज़िन्दगी तेरा पता ना चला। कुछ गुज़ार दी और कुछ गुज़र गई। कभी हंसते हंसते आंसू निकल गए। कभी रोने के बहाने हंस लिए। उम्मीद बहुत हैं, और बहुत थी तुझसे। कुछ छूट गई और कुछ छोड़ दी। जब भी कोशिश की रुकके कुछ समझने की। तू हर बार अपना रुख़ मोड़ गई। ज़िन्दगी तेरा पता ना चला। कुछ गुज़ार दी और कुछ गुज़र गई।"