जिनके प्राण से हृदनयन नित आलोक पाता है हों सदा आयूष पीयूष पूरित मन ये मनाता है जिनके चहकने भर से चमन ये खिल सा जाता है पर्व त्योहार जिनकी स्मिता का रंग पाता है जिनके मृदुतान पर मन राग सम्यक सध जाता है अटखेलियों पर जिनकी बचपन उत्सव मनाता है जनके चितवन से यौवन अनंग मधुमास पाता है जिनकी उतुंग छाती और भुजा का बुढ़ापा आस पाता है चिरप्रकाशित हो वो दीपक जीवन जो जगाता है #prayers#blessings#yqlife#yqfestivity