तन्हाई में ख़्वाहिश तड़पती रही रात भर। रुसवाई में चाहत भड़कती रही रात भर। हसरतों को अपनी अब मैं क्या जवाब दूँ ! रूहानियत में रूह भटकती रही रात भर। ये जो रक़ीबों सा ताल्लुक़ रह गया तुमसे! ख़ुदाई इस तरह से चटकती रही रात भर। आसमाँ से बरसी मोहब्ब्त शबनम बनके! रुबाई मेरे दिल में धड़कती रही रात भर। यूँ तो प्यार का दर्द हम सह भी लेते मग़र! पंछी' यह नुमाइश खटकती रही रात भर। तन्हाई में ख़्वाहिश तड़पती रही रात भर। रुसवाई में चाहत भड़कती रही रात भर। हसरतों को अपनी अब मैं क्या जवाब दूँ ! रूहानियत में रूह भटकती रही रात भर। ये जो रक़ीबों सा ताल्लुक़ रह गया तुमसे!