रूद्र है प्रचंड आज भारत अखंड आज फिर भी सभ्यता का अपमान हो रहा यहाँ संस्कृती है गिर रही मान भी है गिर रहा स्वाभिमान देश का खंड खंड हो रहा रूद्र है...... भूमि -भूमि तप रही क्रूरता है दिख रही धर्म की अखंडता का आज खंड हो रहा देश द्रोहियो को आज मृत्यु की सजा नहीं छोटी बेटियों का आज अंग -अंग रो रहा देश रो रहा यहाँ रूद्र की प्रचंडता पे रूद्र की प्रचंडता का आज खंड हो रहा रूद्र है प्रचंड आज भारत अखंड आज फिर भी सभ्यता का अपमान हो रहा यहाँ...... ....... परशुराम नौमेश पाण्डेय