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निगाहों में मजे थी,  गिरे और गिर कर संभलते रहे, हव

निगाहों में मजे थी,  गिरे और गिर कर संभलते रहे,
हवाओं ने खूब कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में जलते रहे

©Diwakar Kumar
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