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शीर्षक - असमर्थ शब्द सॉरी मैंने देखा कि... मेरे ह

शीर्षक - असमर्थ शब्द सॉरी

मैंने देखा कि... मेरे ही क़लम से मेरे शब्द को हारते
शोक मात्र बस इतना रहा  सॉरी कहकर आगे  बढ़ते 
बात थी नहीं कुछ भी.. पर शब्द ने अपनी रफ़्तार पकड़ ली
हर किसी को आहत कर रिश्तों में दरार डाल दी...

कुछ वक्त का खेल ही तो था
कुछ चंद शब्दो का मेल ही तो था 
क्या क्या लिखे, उन शब्दों का भाव न समझ पाएं
किसके सामने कह रहे, ये भी आंकलन न कर पाएं

उन्हें तो हर बार माफ़ करना आता है
काश मुझे भी थोड़ा सा सब्र करना आ जाता...
पर ये खेल दिमागी शब्दों का है
कुछ करवा जाता है और खुद बच भी जाता है

उसे भी अब लगने लगा कि क्या फायदा 
जब तुम यह सोचते हो मेरे बारे में...
चलो इन्हीं शब्दों की खेल में गुम हो जाते हैं
कहीं तुम तो कही हम गुम हो जाते हैं....

न शिकायत के कुछ शब्द दिखेंगे
न ही हक़, के साथ   मनाते मिलेंगे
तू कर के तो देख जरा सा...
सबसे ज्यादा आज तुझे असमर्थ शब्द सॉरी  ही मिलेंगे....

©Dev Rishi
  #असमर्थ  शब्द सॉरी
devrishidevta6297

Dev Rishi

Bronze Star
New Creator

#असमर्थ शब्द सॉरी #Poetry

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