जब कुछ नहीं था लिखने को मैने पढ़ा पिता की आंखों को जानना चाहा उनमें छिपे दर्द को ऑर अंत में मुझे हासिल हुआ जिसे महसूस किया मैने पिता का उनकी आंखो में मेरे लिए असीम प्रेम को जो निश्छल था बिल्कुल गंगा घाट के पानी की तरह निस्वार्थ था बिल्कुल छांवदार पेड़ की तरह ऑर अटूट था बिल्कुल मजबूत रिश्तों कि डोर की तरह।। मेरी कलम✍️✍️ #पिता #पुत्र #yqbaba #yourquotebaba