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इब्तदा ए इश्क़ में ना पूछिए हुज़ूर आलम बेज़ुबा दिल की

इब्तदा ए इश्क़ में ना पूछिए हुज़ूर
आलम बेज़ुबा दिल की तलबगारी का!

बेचैन हुए रहते हैं मिलकर भी उनसे
बयाँ न होगा हश्र!अपनी बेक़रारी का!

गुमाँ था हमें कि कभी कम ना होगी अना
परचम लहराएगा सदा हमारी ख़ुद्दारी का!

और अब हाल ये है कि बात न हो तो
मौका ढूँढते है उस बुत की ताबेदारी का! Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "ख़ुद्दारी"

अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।
इब्तदा ए इश्क़ में ना पूछिए हुज़ूर
आलम बेज़ुबा दिल की तलबगारी का!

बेचैन हुए रहते हैं मिलकर भी उनसे
बयाँ न होगा हश्र!अपनी बेक़रारी का!

गुमाँ था हमें कि कभी कम ना होगी अना
परचम लहराएगा सदा हमारी ख़ुद्दारी का!

और अब हाल ये है कि बात न हो तो
मौका ढूँढते है उस बुत की ताबेदारी का! Urdu_Word_Collab_Challenge_
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आज का लफ्ज़ है "ख़ुद्दारी"

अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator