सारथी परजीवियों के,सोच जिनकी अब बटी पूंछ जैसे घूमते जो,साथ रथ में वो सटी। आंख से ओझल नहीं मंज़र हमारी आंख के, राम जी के धाम में,घटना कभी थी जो घटी। ©संजीव निगम "अनाम" #आंदोलन_वाले_परजीवी #परजीवी