काली बदरी घनघोर घटा छाई सगरी जल मग्न भयी पूरी नगरी सब मन की आस अब पूरन को यैसी बरसी काली बदरी सभी कृषक र्पेम राग गावत है खेतन में हल को चलावत है जल ही जल है सब जगह र्पभू जस फोड़ दियो जल की गगरी सब मन की आश अब पूरन को यैसी बरसी काली बदरी है धानी चुनर ओढ़े धरा यैसी हरीयाली छाईं है सावन की पावन बेला ने मन में खुशहाली लाईं है कोयल बोले है बगियन में कूहकत मीठा रस राग भरी सब मन की आस अब पूरन को यैसी बरसी काली बरसी काली बदरी #काली #बदरी