पहेलियाँ तो बहुत बुझाते हो तुम... किसी एक को खुद भी सुलझाते हो तुम...! कहते हो भूल जाओ मुझको तुम... खुद भी कभी भूल पाये हो मुझको तुम...! प्यार को बचपना कहते हो तुम... खुद इस बचपने से बच पाये हो तुम...! नज़रों से मेरी बचने की कोशिश करते हो तुम... अपनी नज़रों को मुझे देखने से रोक पाये हो तुम...! जो रास्ता पार कर चुके थे कभी तुम.. उस रास्ते पर जाने से खुद को रोक पाये हो तुम...! तुम#तुम#तुम#सिर्फतुम#