एक गीत यौवन के नाम तेरी नजरें मेरे ओंठों से सिफारिश क्यूं कर रहीं है ये भ़ष्टाचार का जमाना है यहां सिफारिशे चल जाया करती है तेरे बदन पर क्यूं ये फूलो के रस का यौवन जैसी तड़पन छायी हुयी है तेरे यौवन के फूलों के रस को चूसने के लिए यह भौंरा अब भ़मित हो रहा है। सफल अपने प्यार को बना ले उस जहां मे हम जहां तू मुझे पी ले , वहां मै तुझे पीलूं तेरे बदन के उस रस रस को मै पीलू जहां जहां तुझे तड़पन है अपने बदन की सारी तड़पन मै बुझा लू जहा जहा तेरे रस मै यौवन का सावन है .. तेरे उभरे हुये स्तन मे कुछ तो पाबन सा रस है जितनी बार पीता हूं , प्यास बड़ती ही जाती है एक गीत यौवन के नाम ....