वो दरख़्त की जड़ों को ज़हर पिलायेंगे हम शाख़ों पे मोहब्बत के गुल खिलाएंगे गंगा जमना कि धारों के रुख़ मोड़ेंगे वो हम दोनों को मिलाने, उनपे पुल बनाएंगे 12/12/20 YourQuote Baba