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हर ख़्वाहिश हो मंज़ूर-ए-ख़ुदा, चाँद रात जो आई है। ख़ुश

हर ख़्वाहिश हो मंज़ूर-ए-ख़ुदा, चाँद रात जो आई है।
ख़ुशियाँ भर भर झोली में, ये ईद मुबारक़ लाई है।

इंतज़ार रहता है साल भर, जिस चाँद का बेसब्री से।
आसमाँ में उस खास चाँद की, तुमने झलक दिखाई है।

ईद की ख़ुशियाँ मनाने को, महिलाओं ने मेहंदी लगाई है।
रौनक देखो सबके चेहरों की, ख़ुशियों की घटा छाई है। आप सभी को ईद की हार्दिक शुभकामनाएं ।

🌀A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - 15 May शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।
हर ख़्वाहिश हो मंज़ूर-ए-ख़ुदा, चाँद रात जो आई है।
ख़ुशियाँ भर भर झोली में, ये ईद मुबारक़ लाई है।

इंतज़ार रहता है साल भर, जिस चाँद का बेसब्री से।
आसमाँ में उस खास चाँद की, तुमने झलक दिखाई है।

ईद की ख़ुशियाँ मनाने को, महिलाओं ने मेहंदी लगाई है।
रौनक देखो सबके चेहरों की, ख़ुशियों की घटा छाई है। आप सभी को ईद की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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✔️समय - 15 May शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।