"दिल के टुकड़े" तेरे लिए ये दिल कितना बैचेन हो उठा है। और तुम्हे हमारी ही खबर नहीं,, कितनी कोशिशों के बाद भी, मेरे प्यार का जहाँ सुना हैं, बस एक तेरे इंतज़ार में,,, तू बेखबर तो हैं पर हद से ज्यादा! इतना भी न तड़पा कि तड़प-तड़प के मेरी जान ही निकल जाए। हाँ एक भूल कर गया ये दिल तुम्हें अपनी जान बनाकर । पर! तुम मुझसे ही दूर नहीं, अपनी धड़कनों से कैसे दूर हो सकते हो? मेरा दिल के टुकड़े बिखेरकर तुम कौन -सा जहाँ बसाना चाहते हों? जिस जहाँ में मै नहीं, वहाँ तुम जानते हो कौन हैं ? तुम्हें तुम्हीं से बेखबर करने वाले हैं। कोई तुम्हारा नहीं हैं,,,। ©Geeta Sharma pranay #तडप#बेखबर #emptystreets