|| श्री हरि: ||
11 - जिज्ञासु
'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।'
आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि वह एक स्वस्थ-सबल पुरुष रहा है। डाक्टर को आश्चर्य में डाल दिया था उस शव की शरीर-रचना ने। ऊपर से देखने पर सामान्य पुरुष के शरीर में और उसमें कोई भेद नहीं था; किन्तु भीतर हृदय दाहिनी और यकृत बांयी ओर। सम्पूर्ण अन्त्र एवं स्नायुजाल साधारण शरीर-रचना से विपरीत दिशा मेँ।
'जैसे रचनाकार ने सभी आँतो को उलटी दिशा में रखकर परीक्षण किया हो कि इस दशा में उसकी कृति ठीक काम करती है या नहीं।' डाक्टर के मस्तिष्क में आपरेशन के समय से ही यह प्रश्न चक्कर काट रहा था। #Books