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"अंत - प्रारम्भ" अंत नहीं कोई मन के इस सूने

"अंत - प्रारम्भ"

अंत  नहीं  कोई  मन  के  इस  सूनेपन  का, 
सन्नाटे  के  पार  एक  सन्नाटा  और  भी है। 
किस   होड़   में   फ़सा   है   बन्दे ,
अब  छोड़ भी  दे  इस  दौलत की  होड़ तू। 
समुन्दर   जितना   होता   है   गहरा , 
उतना   ही   खारा   भी   है, 
फ़िर क्यों नापे है भला तू उसकी गहराई को। 
समझ-समझ कर भी, ना-समझ कर बैठा है , 
जानता है,  यह तो अभी हुआ है प्रारम्भ...!!
 #अंत_प्रारम्भ 
#अभिव्यक्ति 
#pnpabhivyakti #pnphindi
#pnpabhivyakti1 #yqdidi #yqbaba 
  "अंत - प्रारम्भ"
अंत  नहीं  कोई  मन  के  इस  सूनेपन  का, 
सन्नाटे  के  पार  एक  सन्नाटा  और  भी है। 
किस   होड़   में   फ़सा   है   बन्दे ,
"अंत - प्रारम्भ"

अंत  नहीं  कोई  मन  के  इस  सूनेपन  का, 
सन्नाटे  के  पार  एक  सन्नाटा  और  भी है। 
किस   होड़   में   फ़सा   है   बन्दे ,
अब  छोड़ भी  दे  इस  दौलत की  होड़ तू। 
समुन्दर   जितना   होता   है   गहरा , 
उतना   ही   खारा   भी   है, 
फ़िर क्यों नापे है भला तू उसकी गहराई को। 
समझ-समझ कर भी, ना-समझ कर बैठा है , 
जानता है,  यह तो अभी हुआ है प्रारम्भ...!!
 #अंत_प्रारम्भ 
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  "अंत - प्रारम्भ"
अंत  नहीं  कोई  मन  के  इस  सूनेपन  का, 
सन्नाटे  के  पार  एक  सन्नाटा  और  भी है। 
किस   होड़   में   फ़सा   है   बन्दे ,