अतीत की यादों को अक्सर में उस काँच के बंद खिड़की से ही देखती हूँ। दरवाज़े खोलने से डरती हूँ अब, इसलिए की कहीं तुम्हारी वह यादें इन हवाओ के जरिये दोबारा मुझे उन गलियों के तरफ कदमों को चलने के लिए मजबूर ना कर दे। डरती हूँ में अब उन रास्तों पे चलने से की कहीं वापस कोई मेरा हाथ ना थाम ले मुझे दोबारा कुछ क़दमों पे तनहा छोड़ जाने के लिए। डरती हूँ में सवालों से, सवाल जो अक्सर अब पूछा करते हैं लोग तुमसे जोड़ कर। #तुमसे_मेरी_दुरी तुमसे मेरी दुरी (rkrahulrajak in collaboration with shruti sharma) #extract #nojotowritings #nojotostory #tumsemeriduri #rkrahulrajak #kalakaksh #kavishala #relationshipgoals