पुरानी बिखरी यादें समेट लेती हूं रोज़ दिल मे कहीं। चुप रहूँ, कुछ ना कहूँ..! कोई शिकायत तुझसे करती नहीं। तुझसे लड़ के, गुस्सा करके, मैं दुखाऊँ जो दिल तेरा,,, अर्रे.... "मैं" मैं हूँ ...! जाना "तू" नहीं...। #पुरानी_बिखरी_यादें समेट लेती हूं रोज़ दिल मे कहीं। चुप रहूँ, कुछ ना कहूँ..! कोई शिकायत तुझसे करती नहीं। तुझसे लड़ के, गुस्सा करके, मैं दुखाऊँ जो दिल तेरा,,, अर्रे.... "मैं" मैं हूँ ...! जाना "तू" नहीं...।