मैं ज़ब भी थोड़ी तेज़ आवाज में बोलती हुँ, तो माँजी (दादी )मुझ ये कह के डाट दिया करती है "छोरी मुझे न भाता तेज बोलना,ज्यादा उमस सही न है "|बचपन से ही उनसे मै यह ही सुनती आयी हुँ के लड़कियों को सहनशील रहना चाहिये,मैं तब इस बात का विरोध नहीं करती थी तो इसलिए तेज न बोलना मेरी आदत बन गयी | अपनी कीमती चीजों को संदूक में सहेजना मैंने माजी से ही सीखा है, सोचती हुँ उनकी तरह मैं भी कुछ चीज़े सात गांठ बांध के संदूक में छुपा दू और फिर चाभी को कहीं गुमा दू, ताकि उन गांठो को कभी कोइ न खोल पाए | ज़ब कुछ मीठा खाती है माजी तो रख लेती हैं मेरे लिए बचा के,मुझे मीठा बहुत पसंद है माजी यह जानतीं हैं | माजी के पल्लू में बँधा रहता है एक खजाना है, मै कहती हु "कहाँ जाओगी यह खजाना लेकर "तो वो अपना खजाना मेरे लिए खोलती है | #दादी