#उपमा मां कबीर की साखी जैसी, तुलसी की चौपाई-सी, मां मीरा की पदावली-सी, मां है ललित रुबाई-सी. मां वेदों की मूल चेतना, मां गीता की वाणी-सी, मां त्रिपिटिक के सिद्ध सुक्त-सी, लोकोक्तर कल्याणी-सी. मां द्वारे की तुलसी जैसी, मां बरगद की छाया-सी, मां कविता की सहज वेदना, महाकाव्य की काया-सी. मां अषाढ़ की पहली वर्षा, सावन की पुरवाई-सी, मां बसन्त की सुरभि सरीखी, बगिया की अमराई-सी. मां यमुना की स्याम लहर-सी, रेवा की गहराई-सी, मां गंगा की निर्मल धारा, गोमुख की ऊंचाई-सी. मां ममता का मानसरोवर, हिमगिरि-सा विश्वास है, मां श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी, कावा है कैलाश है. मां धरती की हरी दूब-सी, मां केशर की क्यारी है, पूरी सृष्टि निछावर जिस पर, मां की छवि ही न्यारी है. मां धरती के धैर्य सरीखी, मां ममता की खान है, मां की उपमा केवल है, मां सचमुच भगवान है.