इंसान को बिल्कुल हैवान बना देती है और अच्छों को भी शैतान बना देती है एक हंसते हुए घर को कुछ लम्हों में ये तो बिल्कुल बयाबान बना देती है लाएक-नफरत हैं पीने-पिलाने वाले ऐसे लोगों को बैठाकर खिलाने वाले इसे पीने के बाद होश कहां रहता है ये अपनों को भी अंजान बना देती है पीकर सबके सब होश को खो देते हैं कभी सड़कों-चौराहों पे पड़े रहते हैं ऐसे लोग तो नाले में भी सो लेते हैं एक भरे घर को ये शमशान बना देती है मैंने देखा है नजदीक से बेशर्मों को मां की झुठी कसम लेते हुए बेधर्मों को ये काबिले मज़म्मत,लानत के हकदार भी हैं ये घरवालों के और खुद के गुनहगार भी हैं। (क़मर अब्बास) #शराबबंदी