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स्त्री प्रेम करती नहीं बल्कि प्रेम में बसती है

स्त्री 
प्रेम करती नहीं 
बल्कि प्रेम में बसती है 
जिसे भी वो एक बार छू ले 
उसे प्रेम से भर देती है 

स्त्री भी पारस समान ही है ना ....
 स्त्री 
प्रेम नहीं करती
बल्कि प्रेम में  बसती है 
जिसे भी वो एक बार छू ले
उसे प्रेम से भर देती है ....

स्त्री भी  पारस समान ही है ना 
#स्त्री
स्त्री 
प्रेम करती नहीं 
बल्कि प्रेम में बसती है 
जिसे भी वो एक बार छू ले 
उसे प्रेम से भर देती है 

स्त्री भी पारस समान ही है ना ....
 स्त्री 
प्रेम नहीं करती
बल्कि प्रेम में  बसती है 
जिसे भी वो एक बार छू ले
उसे प्रेम से भर देती है ....

स्त्री भी  पारस समान ही है ना 
#स्त्री