हालत अपनी तंग है, फूटी कौड़ी ना संग है अब जिनके है पास वो कोन से यहां मलंग हैं, अब छोड़ो भी यार फूटी कौड़ी चलती भी कहां है। क्या हुआ जो वो छोड़ गई अपनी गरीबी देख कर, यकीन मानिए आज भी उनकी आंखों में मेरी ही तस्वीर से उठती तरंग है।