सबसे प्यारी केदारनाथ सिंह की एक कविता कि- "उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा दुनिया को हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए।" - यूपी 65 उपन्यास से। हर शहर का अपना वजूद होता है। हर शहर की अपनी आत्मा होती है। बनारस की भी अपनी आत्मा है,बल्कि यों कहिये की बनारस आत्माओं का शहर है। और शहर भी कैसा! एकदम जिंदा शहर;पता नहीं कितने ही हजार सालों से है। कहने वाले तो यहाँ तक कह गए है कि ये इतिहास से भी पुराना है।तो इसी जिंदादिली को बरकरार रखती है निखिल सचान की 'यूपी 65' नाम की यह किताब। अगर जिंदगी एक किताब है तो निखिल सचान के अनुसार बनारस उनकी जिंदगी का सबसे ख़ूबसूरत चैप्टर है। जैसे दिल्ली की भीड़ में हर कोई खुद को खो देता है,वैसे ही बनारस की गलियों में ह