“मोहब्बत: एक कड़वा सच” “अनुशीर्षक में” पाने को ही प्रेम कहें जग की यह है रीत प्रेम का सही अर्थ समझाएगी राधा कृष्ण की सच्ची प्रीत कान्हा को पाना जरूरी नहीं था राधा के लिए उनका हो जाना ही काफ़ी था राधा के लिए पीर दिखाया मीरा जैसी मिलन दिखाया कुछ राधा सा