करेले को डुबा चाशनी में, परोस रहे हैं लोग आजकल, उन्हें मालूम नहीं, करेला तो बड़े शौक़ से खाते हैं हम।। बेईमानी पे ईमानदारी का वर्क चढ़ा ख़ुश तो बहुत होंगे, उन्हें मालूम नहीं, बीमारी से डर सब-कुछ धोते हैं हम।। ख़ुद का घर चलाने के लिये औरों को झोंकना चाहते हैं, उन्हें मालूम नहीं, उसूलों से ही तो बिंदास जीते हैं हम।। -संगीता पाटीदार रमज़ान चौथा दिन... #रमज़ान_कोराकाग़ज़