Nojoto: Largest Storytelling Platform

सारे सपने समेट लिए एक तेरे ही लिए अब कामयाबी मेरे

सारे सपने समेट लिए एक तेरे ही लिए 
अब कामयाबी मेरे कदमों में ला देना 
न समझो काबिल मुझे
तो सागर में तैरती कश्ती की तरह डुबो देना 
दो राहों के डगर के कश्मकश में फंसी हूं मैं 
मेरा वक्त ज़ाया न जाने देना 
न समझो काबिल मुझे 
तो अपने आंसुओ से मुझे भिगो देना 
लगा दी है सारीअस्मिता अपनी 
अब बस मंजिल तक पहुंचा देना 
न समझो काबिल मुझे तो 
मसल दे मिट्टी की धूल समझकर 
और इसे ही मेरी औकात समझकर कुचल देना 
अन्यथा मुझे मंजिल तक पहुंचा देना

©NISHA DHURVEY
  #kinaara #मंजिल #मंजिल_की_चाहत