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मेरी नजरों को हसीनों से बचाए रखना, पता नहीं कब कत्

मेरी नजरों को हसीनों से बचाए रखना,
पता नहीं कब कत्ल-ऐ-अन्जाम हो जाए।
बस खुदा से गुजारिश यही है मेरी,
मेरी जांँ मुझसे मिले और उसी दिन इतवार हो जाए।
मैं तो पहले से ही उसके प्यार में मुकम्मल हूँ, 
जब भी वो मिले, 
उसी पर जान कुर्बान हो जाए।। #nojoto_poetry_by_neeraj
मेरी नजरों को हसीनों से बचाए रखना,
पता नहीं कब कत्ल-ऐ-अन्जाम हो जाए।
बस खुदा से गुजारिश यही है मेरी,
मेरी जांँ मुझसे मिले और उसी दिन इतवार हो जाए।
मैं तो पहले से ही उसके प्यार में मुकम्मल हूँ, 
जब भी वो मिले, 
उसी पर जान कुर्बान हो जाए।। #nojoto_poetry_by_neeraj