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दहकते शोलों के अंगारों सी है मेरी मंजिल उफनते किना

दहकते शोलों के अंगारों सी है
मेरी मंजिल उफनते किनारों सी है।।
बार बार तैरता हूं करीब पहुंचने को
काट देती है किनारे नदियों के धारों सी है।।

©Sarvesh Rockstar
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