यूं तो लफ्जों में बयां करना, उसकी ज़िन्दगी को मुमकिन नहीं, मगर हर्फ-दर-हर्फ उसे किस्सों में कहना, लाज़मी मानती हूं, हर रोज देखती हूं वो चुप सी रहती है , आंखों के दरम्यान सपने उसके भी है, लेकिन खामोशी से पर्दा किए रखती है , कहना वो भी जानती है तुम्हारी हरकतों पर , मगर चुप्पी सी बनाए रखती है, यूं तो दुनिया से लड़ लेती है बदौलत तुम्हारी , मगर तुमसे कहने में जैसे उसकी जान सी निकलती है , हर रोज जो ढूंढते हो, उसके खाने में खामियां तुम , कभी तो कह दिया करो, तारीफ में दो लफ्ज़ तुम , उसकी नज़रों में नाजरीन हो तुम, उसके आंखो का नूर दिल का सुकून हो तुम, जिसका नाम ही हर मुसीबत में हिम्मत देता है , उसी की हिम्मत को क्यों तोड़ते हो तुम, क्यू कटीले शब्दों से तिरस्कार करते हो उनका , जिनका गुरुर हो तुम क्यों तोड़ते हो हर रोज दिल उनका , सुकून सिर्फ तुम्हारी मुसकुराहट से मिले जिसे , वो मां ही है दुनियां की हर खुशी तुम्हारी आंखों में दिखे जिसे,,,, ©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #Maa#mywolrd#khubsuratkahani#raahikealfaaz#bete#kuchsawal#maabacha#sadpoetry#bestwordmaa #Dark