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करते नारे बाजी लोगो मे अंगारे भरते हैं, मातृ भारत

करते नारे बाजी लोगो मे अंगारे भरते हैं, 
मातृ भारती के दामन को वो जो काले करते हैं, 
जिनको प्यार नहीं है अपने मातृ भूमि की माटी से, 
चाहे जो हो हिंदू मुस्लिम मतलब नहीं है जाति से, 
पहले तो ऐसे लोगों को भारत से खेदा जाये, 
पड़े जरूरत तो उनके सीने को भी भेदा जाये।। 

जो जुड़ करके राजनीति से आसमान पर सोते हैं, 
जिनके कारण भारत भर मे काले धन्धे होते हैं, 
जिनका सौदा राष्ट्र बेचने तक देखो हो जाते हैं,
चोर उचक्के जो होते हैं वो नेता हो जाते हैं, 
गद्दारों को सबक सिखा कर, गद्दारी अब मंद करो, 
संसद को बस चोर उचक्कों, से केवल स्वछंद करो।। 

घाटी मे अलगाव वाद के बीजों को जो बोतें हैं, 
जिनके कारण भारत माँ के बेटों को हम खोतें हैं, 
अावश्यकता है मनसा को पहले उनके रौंदा जाये, 
सबसे पहले उनके ही कब्रों को अब खोदा जाये।। 
करते जो रोज तिरंगे को खंडित अब उनका अंत करो, 
अमन चमन घाटी में हो खुसियों से अब मकरंद करो। 

 वक्तव्यों से मात्र ईट से ईट बजाना बंद करो,                                           बहुत हो चुका आसमान सर पर उट्ठाना बंद करो,                          आस्तीन के सांप पल रहें हैं जो खद्दर वर्दी मे, 
पहले इनको गले लगाना बहुत हो चुका बंद करो।। 
                          skp@basti jai hind
करते नारे बाजी लोगो मे अंगारे भरते हैं, 
मातृ भारती के दामन को वो जो काले करते हैं, 
जिनको प्यार नहीं है अपने मातृ भूमि की माटी से, 
चाहे जो हो हिंदू मुस्लिम मतलब नहीं है जाति से, 
पहले तो ऐसे लोगों को भारत से खेदा जाये, 
पड़े जरूरत तो उनके सीने को भी भेदा जाये।। 

जो जुड़ करके राजनीति से आसमान पर सोते हैं, 
जिनके कारण भारत भर मे काले धन्धे होते हैं, 
जिनका सौदा राष्ट्र बेचने तक देखो हो जाते हैं,
चोर उचक्के जो होते हैं वो नेता हो जाते हैं, 
गद्दारों को सबक सिखा कर, गद्दारी अब मंद करो, 
संसद को बस चोर उचक्कों, से केवल स्वछंद करो।। 

घाटी मे अलगाव वाद के बीजों को जो बोतें हैं, 
जिनके कारण भारत माँ के बेटों को हम खोतें हैं, 
अावश्यकता है मनसा को पहले उनके रौंदा जाये, 
सबसे पहले उनके ही कब्रों को अब खोदा जाये।। 
करते जो रोज तिरंगे को खंडित अब उनका अंत करो, 
अमन चमन घाटी में हो खुसियों से अब मकरंद करो। 

 वक्तव्यों से मात्र ईट से ईट बजाना बंद करो,                                           बहुत हो चुका आसमान सर पर उट्ठाना बंद करो,                          आस्तीन के सांप पल रहें हैं जो खद्दर वर्दी मे, 
पहले इनको गले लगाना बहुत हो चुका बंद करो।। 
                          skp@basti jai hind