धन्य तुम्हारी धरती भारती नमन तुम्हारे वीरों को आतंकविनाशी अमनहितैशी रणकुबेर रणधीरों को जो क्षणभर में ही मार गिरायें आताताई कीङों को पाला तूने आंचल में उनको ऎसे कीमती हीरों को फौजी कहते सैनिक कहते हम ऎसे पावन नीरों को पलभर में ही जो पिघलादे विद्रोह रूपी जंजीरों को समझ कफन जो साथ में रखते तेरे आंचल की चीरों को है धन्य तुम्हारी धरती भारती नमन तुम्हारे वीरों को आतंकविनाशी अमनहितैशी रणकुबेर रणधीरों को॥ हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा #जयजवान #जयहिंदुस्तान #वीरकविता #मेराभारतमहान #स्वलिखित