आते-जाते बादलों पे, मैं लिखती हूँ पाती। कभी देखना उस बारिश को.. जो मेरे शहर से होकर, तेरे शहर में हैं आती। बारिश की उन बुन्दों में भी.. कुछ शब्द हैं मेरे, कुछ चाहत हैं मेरी। प्रीत की डोर कभी टूटती नहीं, कहीं गुम हो जाती हैं बादालों सी l ©पुष्प" #myfantasy