इतना भी कमज़ोर उड़ान नहीं कि मॉनसूनी हवाओं में भटक जाएं हां कालजयी नहीं हूं परंतु मौत को छू के आया हूं भय नाम का कोई परिंदा नहीं मुझमें मैं खुद को मिटा कर बनाया हूं कई यातनाएं जड़े गए है अस्त्वित्व पे मेरे साहेब चंद दर्द के लम्हांत में अब इतनी गदर कहां कि इस कामिल की मुस्कुराहट दबा जाएं #आत्मविश्वास_और_आत्म_सौष्ठव #जिन्दगी_एक_संघर्ष #मैं_और_तुम #कारण #प्रेम1 #कामिल_कवि #yqdidi #kunu