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" तुम से रुठना मुनासिब नहीं , तुम दूर हों रहे अब य

" तुम से रुठना मुनासिब नहीं ,
तुम दूर हों रहे अब ये साजिश नहीं ,
मैंने तो दिल की बात कह दी है ,
लगता ये बात तुम्हारे समझ से परे है ,
चलो कोई बात नहीं कोशिशें मुसलसल करते रहेंगे ,
जब तक तेरे दिल में ये बात आती - जाती नहीं . " 

                                --- रबिन्द्र राम
 " तुम से रुठना मुनासिब नहीं ,
तुम दूर हों रहे अब ये साजिश नहीं ,
मैंने तो दिल की बात कह दी है ,
लगता ये बात तुम्हारे समझ से परे है ,
चलो कोई बात नहीं कोशिशें मुसलसल करते रहेंगे ,
जब तक तेरे दिल में ये बात आती - जाती नहीं . " 

                                --- रबिन्द्र राम
" तुम से रुठना मुनासिब नहीं ,
तुम दूर हों रहे अब ये साजिश नहीं ,
मैंने तो दिल की बात कह दी है ,
लगता ये बात तुम्हारे समझ से परे है ,
चलो कोई बात नहीं कोशिशें मुसलसल करते रहेंगे ,
जब तक तेरे दिल में ये बात आती - जाती नहीं . " 

                                --- रबिन्द्र राम
 " तुम से रुठना मुनासिब नहीं ,
तुम दूर हों रहे अब ये साजिश नहीं ,
मैंने तो दिल की बात कह दी है ,
लगता ये बात तुम्हारे समझ से परे है ,
चलो कोई बात नहीं कोशिशें मुसलसल करते रहेंगे ,
जब तक तेरे दिल में ये बात आती - जाती नहीं . " 

                                --- रबिन्द्र राम