आज़माइश ********** ना डर ज़माने की निगाहो से, वक़्त लगता है, यादो को भुलाने मे, मैं लिखता रहा, युही दर्द अपने, वक़्त लगा था, मुझे आज़माने मे, आज़माइश चल रही है, आज भी मेरी, लेकिन अब ख़रा उतरूँगा, इस आज़माने मे..। कवि कुमार पंकज ©Kumar Pankaj आज़माइश #Motivation, #Poetry, #nojotothought, #bestpoetry, #jazbaatdilsediltak #taaqat