"उस बचपन में उतना भी बचपना नहीं था चीजें तो तब भी थी हड़पना नहीं था वो खेल खिलौने लड़ना झगड़ना होती थी ग़लती पकड़ना नहीं था ये दुनिया ये दारी पड़ी इतनी भारी कि मासूम बचपन को दबना वहीं था जो दिखती थी चंदा पे बुढ़िया वो हमको वो आंखें अभी हैं,वो सपना नहीं था" #बचपन_का_प्यार #OnlySenseIsInnocence ©kapil #MereKhayaal