शर्म हया सब बिक रहा,संविधान से संवाद अब कहाँ हो रहा है, लाचार बेटियां रोज बेबसी बेरहमी से मारी जाती है, भारत जैसे पावन देश मे क्या हो रहा. हत्यायें से बाज़ार सना है, खूनी बनी चौराहों से हर घुट जहर जैसा रोज पिया है, अब अगर बख्सोगे अन्तर्हित अनर्थ हो जायेगा, सोचो बलात्कारी ने कितना बड़ा कुकृत्य किया है। शीशदान दे दो उन बापो को ,जिसने बेटी खोया है, लाज हया शर्म सब वापस आएगा, अगली बारी से, लालकिले पर लटका दो,दरिंदो को,शायद सच्ची श्रद्धांजलि मिल जाये,जो मर कर भी कुपित होकर चौराहे पर सोया है। जग की सिहरन रूह में भर दो,अगली बारी से कांड ना होगा,प्रियंका तो मर गयी ,बहु बेटियों की इज्जत नीलाम ना होगा,मत रोओ रोना सीधे फांसी ,बार बार दुस्साहस करे,कोई ऐसा मायी का लाल ना होगा. ( बड़े दर्द मे लिखा है, डॉक्टर प्रियंका तुमको समर्पित).मुदित सिंह। Priyanka