यूं तो किताब लिख दू तेरी याद में पर पढ़े लिखे लोग भी ना समझेंगे मेरा जज़्बात क्या है ना इश्क किया भी है और निभाया भी जो आज भी तेरे दामन में दाग बर्दाश्त नहीं बस इतनी इलतजा है तुमसे अब हमलोगों में लाशों को जलाया जाता है फिर क्यों मुझे तुम ज़िंदा जला रही हो कौनसी मेरी गुनाह है मेरी जिसकी सजा मुझे दे रही हो You lit a pyre for the dead not the living #love #punishment