#OpenPoetry वक्त ने काट दिये साझेदारी के पर ये तेरा घर, ये मेरा घर मैं, तुम, हम मिलकर परिवार बनाता था तब घर में हर कोई कहां कमाता था पर वो जब से लगे कमाने कहां ठहरते एक पहर ये तेरा घर, ये मेरा घर धन कमाने निकले थे स्वार्थ कमाकर लाये हैं हम, तुम के भावों से ऊपर मैं का भावार्थ कमाकर लाये हैं चंद सिक्के जोड़ने खातिर उलझे रहे सारी उमर ये तेरा घर, ये मेरा घर बँटबारे सुख-दुख के नहीं रिश्तों के हुआ करते हैं बस मैं ही मैं सर्वत्र रहूँ वो ऐंसी दुआएँ करते हैं खाली खाली चार दिवारी को कहते हैं अपना घर ये तेरा घर, ये मेरा घर। Ankit- Ek Ehsas #घर #परिवार #Ankit_Ek_Ehsas #nojotoHindi #HindiPoetry