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छाया से दूर हुआ तो आंचल का मूल्य मैं जाना जब तप

छाया से दूर हुआ तो 
आंचल का मूल्य मैं जाना 
 जब तपी ये दिल की धरती 
बादल का मूल्य मैं जाना 
 वो छाया वो बदली
बस एक जगह मिलती है 
सब मिलता दूर शहर में 
बस  मां ही नहीं मिलती है


 पावस रजनी में जुगनू
 भट्ट के जैसे जंगल में
 पूछे राम जी वोन से
 कैसे हैं सब महल में

वन में ना कोई दुख है
 पुण्य ज्योति जलती है 
 देव मुनि सब मिलते
बस मां ही नहीं मिलती है
@गौतम माँ पर कविता
छाया से दूर हुआ तो 
आंचल का मूल्य मैं जाना 
 जब तपी ये दिल की धरती 
बादल का मूल्य मैं जाना 
 वो छाया वो बदली
बस एक जगह मिलती है 
सब मिलता दूर शहर में 
बस  मां ही नहीं मिलती है


 पावस रजनी में जुगनू
 भट्ट के जैसे जंगल में
 पूछे राम जी वोन से
 कैसे हैं सब महल में

वन में ना कोई दुख है
 पुण्य ज्योति जलती है 
 देव मुनि सब मिलते
बस मां ही नहीं मिलती है
@गौतम माँ पर कविता