White 2122 1212 22/112 बज्म में तेरी आ नही सकता गीत उल्फत के गा नही सकता आरजू कर ली चाँद की मैंने जानता हूँ कि पा नही सकता खिल उठे जिस महकसे घरआँगन फूल मैं घर वो ला नही सकता भोग छप्पन सजे थे थालों में बद नसीबी कि खा नही सकता रास आती नही तेरी महफ़िल पर यूँ भी तो मैं जा नही सकता सब तमन्नाएँ जल रही दिल मे खोल कर दिल दिखा नही सकता ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 25/6/2017 ©laxman dawani #good_night #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge