चलंत दूरभाष यंत्र आरती कीजै चलंत दूरभाष यंत्र की इनके बिना है जीवन लगता अधूरा ये न हो तो कुछ भी न भावे इन में हमारे चारो धाम है समाये, आरती कीजै चलंत दूरभाष यंत्र जी की प्रातःकाल हो तो इनका दर्शन हो जाते रात ढ़ले तक साथ निभावे, हर क्षण इनका सुमिरन करें हम आरती कीजै चलंत दूरभाष यंत्र जी की, एक दिन न चले तो मन विचलित हो जाता अन्तरजाल का जो अंत हो जाता भूख प्यास है उड़ा जाता,पुनर्भारण हो जाता मन तरोताजा हो जाता, आरती कीजै चलंत दूरभाष यंत्र जी की सम्पूर्ण देवी देवता का वास इसमें है होता वार्तालाप का स्रोत है होता, कुछ न चाहे हम चलंत दूरभाष यंत्र जी तुम सलामत रहो इतनी सी प्रार्थना, काव्य मिलन तीसरा चरण हास्य रस आरती चलंत दूरभाष यंत्र जी की बोलो भक्तों दूरभाष यंत्र महाराज की जय 🙏😁 आज हास्य रस पर आधारित रचना हमने अपने शब्दो में ढ़ाल कर लिखने की कोशिश की है