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ज़िंदगी का तेरी आचरण मैं बनूँ। सब ग़मों का तेरे आ

ज़िंदगी का तेरी आचरण मैं बनूँ। 
सब ग़मों का तेरे आवरण मैं बनूँ। 

रस अलंकार में डूबे हम तुम रहे, 
स्वर अगर तुम बनो व्याकरण मैं बनूँ। 
©Er.आयुषी गुप्ता

©ayushigupta
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