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White खोई-खोई रात की रानी,  चंदा नभ में अलसाये। 

White 
खोई-खोई रात की रानी, 
चंदा नभ में अलसाये। 
ऐसे में आकर के सजना 
निज बाँहों में भर जाए। 
बूँदों  की  रसधार  भिगोये, 
तब  दो मन सुध बिसराये। 
आकर चंचल पुरवाई  फिर, 
 चंदन   सा    लेप    लगाये। 
मेरी आँखें, तेरी आँखें, 
चुपके-चुपके बतियाये।
खोई-खोई……….. । 
 उलझी  दो  साँसों  की  डोरी, 
उलझन   बढ़ती   ही    जाये। 
मदिर-मदिर महका मन उपवन, 
कुछ   अधरन   भेद   छुपाये।
देखे जो चाँद चकोरी को,
पलभर रजनी शरमाये। 
खोई-खोई………… । 
देह दो  टेसु  के  जंगल में, 
भटके  पर  लौट  न   पाये। 
ओढ़ के सपनों का दुशाला, 
सरस  निन्दिया  सो  जाएँ। 
मृदुल सी निंदिया दोनों की, 
अंँखियों में लोरी गाये।
खोई-खोई……….. ।

©Dr Usha Kiran
  #खोई_खोई_रात_की_रानी