एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... फिर एक दिन वो मुझे मिलीं वो मनचली मुझे अपने संग ले चली मानो खिल उठी जैसे कोई कली-कली बातों-बातों में सारी रात टली अचानक ही मेरी आँख खुली तो मालूम हुआ बस मेरे ख्यालों की वो एक परी निकली....... kali kali shayri