सुनो आज फिर जब दोस्तों के साथ दो कप चाय पींना हुआ तो एक दोस्त ने तुम्हारा जिकर कर दिया मानो की खुले गुलाबों के फूलो की तरह सारी यादो की भार हो गई हो मानो ज़िंदगी के सारे पाने खुल सी गए हो दिल ने जैसे धड़कना फिरसे चालू किया हो लफ्ज़ो ने जैसे फिरसे मेहकना चालू किया हो अक्सर हमहे नसियात् दी थी की थोडा संभल कर रहना शायद हमारी नादानी को बस तुमने ही जाना था जितना हुमने भी हमको नही चाहा था श्याद उतना तुमने हुमहे चाहा था...। #diaryofRiddzzz#tumharajikar