#Dedicated_to_all_Shayar मैं अपने दौर का शायर हू, हर दौर से होकर आया हू, #हाफी से है तहज़ीब चुराई, #जरयून की मस्ती लाया हू, #नज्मी के पिंजरे से उड़कर, मैं जंगल सीता आया हू, #आमिर के अंदाज मे सुनलो, #जालीब की बगावत लाया हू, #गुलज़ार की खुशबु साथ लिए, मैं सरहद तोड़ कर आया हू, #जाॅन को मुरसिद माना है, ताबीज ए #मोहशीन लाया हू, बचपन मे #फै़ज़ को सुनता था, #फराज को पढ़कर आया हू, #सागर से दरवेशी सीखी है, #नासिर से चर्चा लाया हू, #दर्द के दर्द को पाला है, #मीर से मिसरे लाया हू, #ग़ालिब मेरा साक़ी है, #जिगर से प्याला लाया हू, #अमृता रूठी बैठी है, #साहिर को मनाने लाया हू, और एक यार मनाना है मुझको, मैं #बुल्ला बनकर आया हू, #वारिस का इश्क हकीकी था, मैं #हीर मिजाजी लाया हू, #इकबाल को हाथ नहीं डाला, बस पाऊँ चूम कर आया हू... ✍️ ©Khush Saifi