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ख़ामोशिया सुनी है कभी किसी ने शायद नहीं क्योंकि ख

ख़ामोशिया सुनी है कभी किसी ने 
शायद नहीं क्योंकि ख़ामोशियों मे शोर 
शोर से भी ज्यादा होता है।
मैंने सुनी है और महसूस भी की है इन खामोशियों को।
आँखे देखती रहती है सामने पर आँखों के सामने बर्फ की परते सी जम जाती है।
कानों में बस गूँजता है अंदर का शोर 
शरीर सुन्न सा हो जाता है 
एकांत में भी मन शांत नहीं होता है 
और शांति से मन एकांत भी नहीं होता है।
उलझने,दूरिया,परेशानियाँ और रिश्ते 
ऐसे बिखरे होते है जैसे जैसे फूलों के बागों में 
बिखरे पड़े होते है गिरे हुए फूल।
जैसे सब कोई बस फूलों को देख कर छोड़ 
देता है अकेले उनको अपनी किस्मत पर 
वैसे ही इनमे भी रिश्तों का बिखराव ऐसे ही होता है जैसे सारे पास तो है बस एक साथ नहीं है।
ये ऐसा है जैसे नहीं रहते है काग़ज़ के फूलों में सुगंध वैसे ही रह नहीं पाते है रिश्तों में जुड़ाव।
ख़ामोशिया सुनी है किसी ने 
मैंने सुनी है।

©Sandeep Sagar #khamoshiyan #selfexperiance 

#think
ख़ामोशिया सुनी है कभी किसी ने 
शायद नहीं क्योंकि ख़ामोशियों मे शोर 
शोर से भी ज्यादा होता है।
मैंने सुनी है और महसूस भी की है इन खामोशियों को।
आँखे देखती रहती है सामने पर आँखों के सामने बर्फ की परते सी जम जाती है।
कानों में बस गूँजता है अंदर का शोर 
शरीर सुन्न सा हो जाता है 
एकांत में भी मन शांत नहीं होता है 
और शांति से मन एकांत भी नहीं होता है।
उलझने,दूरिया,परेशानियाँ और रिश्ते 
ऐसे बिखरे होते है जैसे जैसे फूलों के बागों में 
बिखरे पड़े होते है गिरे हुए फूल।
जैसे सब कोई बस फूलों को देख कर छोड़ 
देता है अकेले उनको अपनी किस्मत पर 
वैसे ही इनमे भी रिश्तों का बिखराव ऐसे ही होता है जैसे सारे पास तो है बस एक साथ नहीं है।
ये ऐसा है जैसे नहीं रहते है काग़ज़ के फूलों में सुगंध वैसे ही रह नहीं पाते है रिश्तों में जुड़ाव।
ख़ामोशिया सुनी है किसी ने 
मैंने सुनी है।

©Sandeep Sagar #khamoshiyan #selfexperiance 

#think